दुश्मन जमाना
क्यों जमाना दुश्मन है, बेटी का हर बार।
क्यों पहले ही जन्म के, बेटी देता मार।
जीने का अधिकार दो।। 1
मौत के बाद तो यहाँ , सभी चिता में जाय।
दुश्मन जमाना जिंदा, बेटी दिया जलाय।
माँ कुछ उपाय तो करो ।। 2
नर-नारी दोनों बने, हैं जग के आधार।
दुश्मन जमाना समझे, नारी को बेकार।
नारी से संसार है। 3
नारी शक्ति दुनिया को, आप दिखाई देत।
दुश्मन जमाना फिर भी, उसे लगाये बेंत।
जीवन कांटों से भरी। 4
मैं शक्ति, दुर्गा, काली, नहीं हूँ मैं लाचार।
छेड़ मत जल जाओगे, मैं जलती अंगार।
दुश्मन जमाना बच के। 5
दुश्मन जमाना से मैं, छिन लूँगी अधिकार।
अब नहीं सहूँगी कभी , कोई अत्याचार।
नारी संघर्ष जारी।
—लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
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