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Showing posts from August, 2017

मनमोहन मुरलीवाला

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(1) मोर मुकुट पीताम्बर गल बैजन्ती माला। कानों में कुण्डल माथे पे तिलक विशाला। हर पल सबकी जो रक्षा करता है, चक्र सुदर्शन को धारण करने वाला। (2) मंद-मंद मुस्कान अधर लाल मतवाला। श्याम वर्ण छवि अति सुन्दर गोपाला। देख-देख नयन नहीं हटता उन से, ऐसा मनमोहक रूप बड़ा ही निराला। (3) यसुमती का प्यारा नंन्द का लाला। नटखट कृष्णा मनमोहन मुरलीवाला। मटकी को फोरे है माखन चोर ये, नित घर-घर में जाकर डाका डाला। (4) बृन्दावन में गाय को चराने वाला। सदा संग में रहे मनसुख ग्वाला। बृज के हर बाला हुई दिवानी, सदा राधिका के रंग रंगने वाला। (5) यमुना के तट पर रास रचाने वाला। हर गोपियन को नाच नचाने वाला। ग्वाल बाल सब के सब झूम रहे हैं, कैसा जादू डाला जादूगर जादू वाला। (6) इन्द्र का अभिमान को तोड़ने वाला। गोवर्धन पर्वत उँगली पे उठाने वाला। जहरीली यमुना में बहाने से कुद कर, नथकर नाग कालिया पर नाचने वाला। (7) भक्त हृदय में प्रेम बढाने वाला। अर्जुन का रथ को हाँकने वाला। धर्म संकट में फँसने पर उसे, गीता का उपदेश सुनाने वाला। (...

ओ कृष्णा

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ओ कृष्णा! मौत की आखिरी क्षण तक तू मुझे थामें रख। मैं मिट जाना चाहती हूँ, तेरे मोहब्बत के नाम पर। ओ कृष्णा! तू मुझे बाँसुरी बना ले, अपने अधरों से लगा ले। ओ कान्हा! मेरे मन के तार कुछ इस तरह से झनका दे, मेरे हर दर्द को तुम अपने गले लगा ले। ओ कृष्णा! मेरे मन की तड़प को, अपने मन से सुन लो। जो बात लब ना कह पाई, उसे मेरी आँखों में पढ़ लो। ओ कृष्णा! मान-मर्यादा तज तेरी गोद में पड़ी हूँ मैं। तेरी बाँसुरी की धुन पर बेसुध पड़ी हूँ मैं। ओ मेरे कान्हा अब तुम ही सम्हालो मुझे, तेरे ही चरणों में लिपटी पड़ी हूँ मैं। ओ कृष्णा! अब तुम ही बिगारे, तुम ही सँवारे, जीवन की ये डोर किया तेरे हवाले। —लक्ष्मी सिंह 

फूल पलाश

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(1) फूल पलाश अनजाना सा राग फगुआ फाग  (2) रंग पलाश टहनी फूली आग लगे अंगार  (3) खिले पलाश बाँध रही स्वपाश मधुर मास  (4) लाल पलाश सूनेपन में आस जीवन रास  (5) उगे पलाश यौवन का उन्माद मन का भाव  (6) हँसे पलाश कोमल लाल लाल लिये मशाल  (7) बिछे पलाश तारों भरी उजास नव सुहास  (8) मन पलाश झूमते आसपास तन बतास  (9) नव पलाश भूला बिसरा रास मन हुलास  (10) खिला पलाश रंगीन भू आकाश अंतःनिवास  (11)  संग पलाश प्रीत का अनुराग वसंती राग  (12)  सुर्ख पलाश छटा ये वसंत की धरा सुन्दरी  (13) हर पलाश उपवन में खास भरे मिठास   —लक्ष्मी सिंह